अंधेरी सी रात में एक खिड़की
डगमगाती है
सच बताऊँ यारों तो, एक लड़की
मुझे सताती है।
भोली भाली सूरत उसकी
मखमलीं सी पलकें है
हलकी इस रोशनी में, मुझे
देख शर्माती है
सच बताऊँ यारो तो इक लड़की
मुझे सताती है
बिखरी-बिखरी जुल्फे उसकी
शायद घटा बुलाती है, उसके
आंखो के काजल से बारिश
भी हो जाती है
दूर खड़ी वो खिड़की पर
मुझे देख मुस्कुराती है।
सच बताऊँ यारों तो इक लड़की
मुझे सताती है
उसकी पायल की छम-छम से
एक मदहोशी सी छा जाती है
ज्यों की आंख बंद करु मैं
तो, सामने वो जाती है
सच बताऊँ यारों तो इक
लड़की मुझे सताती है
अंधेरी सी रात में एक खिड़की
डगमगाती है
ज्यों ही आंख खोलता हँ
मैं तो ख्वाब वो बन जाती है
रोज रात को इसी तरह
इक लड़की मुझे सताती है।
एक लड़की मुझे सताती है
Posted on Thursday, March 13, 2008
by Anuj Mehta
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